Friday, February 19, 2016

वैसे कायदे से ये पोल खोल योजना है वो भी अपनी 
पर बता ही देता हूँ इंजीनियरिंग की प्रेकिटकल परीक्षा हम लोग कैसे निकलते थे वो भी तब जब हमने एक भी प्रेकिटकल न किया हो और पढाई के नाम पर पूरी नौटंकी हुई हो 
ये ब्रह्मास्त्र विधि थी और अंतिम भी जिसे हम आजमाया करते थे होता ये था की हम कोई एक टॉपिक खूब धुआधार पढ़ लेते थे मतलब उसपर आप कुछ भी पूछ लो बता देंगे और जब वाईबा शुरू होता था तो एक्जामिनर एक सवाल पूछे 
जवाब सॉरी सर 
दूसरा सवाल सॉरी सर 
तीसरा सवाल जवाब रिमेन कांस्टेंट
और तब तक जब तक की आजिज आके वो ये न पूछ दे की तुमको क्या आता है
बस इसी वक्त का हमे इंतजार होता और फटाक से वो टॉपिक पटक देते जो एकदम पी के आये होते
और फिर उसपर
एक छोटा सा सवाल करता( उसे उम्मीद नही होती जवाब की ) जवाब हाजिर
थोड़े आश्चर्य के साथ कठिन सवाल उस टॉपिक पर और फिर जवाब हाजिर
उसके बाद तो एक्जामिनर खुश और बढ़िया नंबर आपके खाते में
कुछ इसी तरह आज कल 

देश के विरोधियो के साथ खड़े है
अरे नाम तो हो रहा है लोग हमारे बारे में सुन तो रहे है फिर एक ही बार कोई ऐसा देशभक्ति वाला जवाब देंगे की सब दंग और अच्छी खासी सीट हमारे खाते में
क्युकी हम बहुत बड़े भूल्ल्कड़ है एक्जामिनर जो है

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