जब माँ बूढी हो जायेगी, जब माँ बूढी हो जायेगी।
पोपले मुँह से बोलते वक्त
बात कुछ और निकल जाएगी,
फिर मुझे कई नए नामो से हर बार बुलाएगी।
जब माँ बूढी हो जायेगी,जब माँ बूढी हो जायेगी।
दांत नही होंगे उसके फिर मूंगफली को
टॉफी की तरह चुभलायेगी,
जब माँ बूढी हो जायेगी,जब माँ बूढी हो जायेगी।
अपने हाथ से बाल नही बंधेंगे उसके,
फिर मुझ नौसिखिये से अपना बाल बंधवाएगी।
जब माँ बूढी हो जायेगी, जब माँ बूढी हो जायेगी।
झुर्री वाले हाथो से मेरे सिर को सहलाएगी।
जब माँ बूढी हो जायेगी, जब माँ बूढी हो जायेगी
बचपन में पाला था उसने,
अब खुद बचपना करते नजर आएगी।
जब माँ बूढी हो जायेगी,जब माँ बूढी हो जायेगी।
अभिनव कुमार तिवारी "अभि"