Wednesday, April 27, 2016

हमारे यह एक वेदाचार्य है प्रकांड विद्वान् है संस्कृत के  और ज्योतिषाचार्य भी है। उनकी एक इच्छा थी की वो किसी को ये सब सिखा कर जाये।  बिना किसी विशेष लाभ के पर शर्ते बड़ी कठोर सी थी। याद रखिये कलाम ने भी बड़ी कठोर शर्ते पूरी की थी सुबह चार बजे स्नान कर के आना, तब गणित पढ़े थे और ये शर्ते भी बालक अवस्था की है। खैर एक आध लोग आये कोई दो दिन रुका कोई चार दिन।
कोई पूरी तरह विद्यार्जन नहीं कर सका और बीच में ही भाग खड़ा हुआ।  अब बेचारे जिंदगी के उत्तरार्ध में है और अब शायद ही अपने जैसा विद्वान् किसी को बना पाए। अब अगर समाज उनसे कुछ सवाल करें की अब तो आप जा रहे हो पर अपने जैसा भी किसी को नहीं बना पाए तो क्या जवाब दे।
याद रखिये जिसने इस समाज का इस देश का प्रतिनिधित्व किया हो और उसे  गर्वानिवित किया हो। वो कभी नहीं चाहेगा की उसका देश या समाज कभी पिछड़े उसने जरूर कोशिश की होगी अपने जैसा बनाने के लिए शर्ते नहीं पूरा कर पाए होंगे हम बस यही उसका दोष है।  क्योंकि शर्त आप पूरी नहीं पर कर पाए है। ये दोष हमारा है मेरे दोस्त की फिर मिल्खा भी मिल्खा नहीं बना सका।
बाकि आप डॉ कुमार विश्वास  को भी डॉकटरो का अम्बेस्डर घोषित कर दो क्यू वो भी तो डॉक्ट्रेट है पढ़ा लिखा आदमी है